Saturday, December 20, 2008

बाघ को वियाग्रा

बाघ को उत्तेजित करने के लिए वियाग्रा दिया जा रहा है। ये मजाक नहीं सच है और ऐसा चीन में हो रहा है। चीन के जियांग्सी प्रांत के जियुजियांग चिड़ियाघर में ऐसा किया जा रहा है। इस चिड़ियाघर में एक बाघिन है...यहां कोई बाघ नहीं है। इसलिए एक दूसरे चिड़ियाघर से एक बाघ लाया गया है। जिससे इन दोनों का मिलन करवाया जा सके और इनकी आबादी बढ़ाई जाए। लेकिन दूसरे चिड़ियाघर से आए बाघ के नया माहौल रास नहीं आ रहा है, इसलिए उनका अब तक मिलन नहीं हो पाया है। चिड़ियाघर के अधिकारियों का कहना है कि बाघिन की उम्र प्रजनन के लिए उपयुक्त है, इसलिए दोनों को ही सही खान-पान दिया जा रहा है। इसके साथ ही बाघ को उत्तेजित करने के लिए वियाग्रा भी दिया जा रहा है। चीन में चल रहे इस प्रयास का क्या नतीजा निकलेगा ये तो पता नहीं , पर अपने देश में भी बाघों की स्थिति अच्छी नहीं है।
आज से करीब सौ साल पहले भारत में करीब 40 हज़ार बाघ थे...लेकिन 2008 में इनकी तादाद घट कर 1, 411 हो गई है। भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक पिछले पांच साल में बाघों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है। 2002 में हुई गिनती के मुताबिक यहां कुल 3, 642 बाघ थे। भारत में विश्व के 40 फीसदी बाघ रहते हैं और 17 राज्यों में बाघों के लिए 23 संरक्षित क्षेत्र हैं। मध्य प्रदेश में इनकी संख्या सबसे अधिक 300 है। उत्तराखंड में 178, उत्तर प्रदेश में 109 और बिहार में 10 बाघ होने का अनुमान हैं। इसी तरह आंध्र प्रदेश में 95, छत्तीसगढ़ में 26, महाराष्ट्र में 103, उड़ीसा में 45 और राजस्थान में 32 बाघ होने का आकलन किया गया है। बाघ संरक्षण के तमाम उपायों के बावजूद इनकी आबादी बढ़ने के बजाए घट ही रही है। सिर्फ तमिलनाडु ही एक ऐसा राज्य है जहां बाघों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। पिछले पाँच साल में यहां बाघों की गिनती 60 से बढ़कर 76 हो गई है। प्रतिबंध के बावजूद भारत में बाघों का शिकार बड़े पैमाने पर किया जाता है। इन्हें खाल, हड़्डियों और अंगों के लिए मारा जाता है। बाघ की खाल से कीमती कपड़े बनाए जाते हैं जबकि, इसकी हड्डियों और अंगों का इस्तेमाल दवा बनाने में होता है। इनका सबसे बड़ा बाज़ार चीन है जहां इनके लिए साढ़े बारह हज़ार डॉलर तक मिल जाते हैं। जिस तरह से बाघों की संख्या घट रही है और यही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब हम अपनी आनेवाली पीढ़ी को इनके बारे में सिर्फ चित्रों और एनिमेशन के जरिए ही बता पाएंगे? जैसा आज हम डायनासोर के बारे में बताते है। इस विलुप्त होते जानवर को बचाने के लिए सिर्फ सरकारी प्रयास ही काफी नहीं हैं ...हमें भी कुछ करना होगा? ताकि इन्हें भी जीने का पूरा हक मिले...इन्हें भी अपनी आबादी बढ़ाने का पूरा मौका मिले। अभी हमारे देश में चीन जैसी स्थिति नहीं आई है कि बाघों को वियाग्रा दिया जाए...लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हालात बेहतर हैं। वक्त संभलने का है...वक्त बाघों को बचाने का है।

8 comments:

Rajeev Nandan Dwivedi kahdoji said...

आपका लेख पढ़कर हम और अन्य ब्लॉगर्स बार-बार तारीफ़ करना चाहेंगे पर ये वर्ड वेरिफिकेशन (Word Verification) बीच में दीवार बन जाता है.
आप यदि इसे कृपा करके हटा दें, तो हमारे लिए आपकी तारीफ़ करना आसान हो जायेगा.
इसके लिए आप अपने ब्लॉग के डैशबोर्ड (dashboard) में जाएँ, फ़िर settings, फ़िर comments, फ़िर { Show word verification for comments? } नीचे से तीसरा प्रश्न है ,
उसमें 'yes' पर tick है, उसे आप 'no' कर दें और नीचे का लाल बटन 'save settings' क्लिक कर दें. बस काम हो गया.
आप भी न, एकदम्मे स्मार्ट हो.
और भी खेल-तमाशे सीखें सिर्फ़ 'ब्लॉग्स पण्डित' पर.
यदि फ़िर भी कोई समस्या हो तो यह लेख देखें -


वर्ड वेरिफिकेशन क्या है और कैसे हटायें ?

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

Prakash Badal said...

swaagat hai aaapka

Unknown said...

bahut he accha lkha hai aapne..aise he likhte rahe....

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका हार्दिक स्वागत है.

खूब लिखें,अच्छा लिखें

शुभकामनाऎं

दिगम्बर नासवा said...

चोकाने वाली जानकारी है बाघों के बारे मैं
स्वागत है आप का

दिनेशराय द्विवेदी said...

चीन और वियाग्रा? क्या जिनसेंग काफी नहीं था?

अभिषेक मिश्र said...

प्रकृति से मजाक की इन्तहा है ये. स्वागत ब्लॉग परिवार और मेरे ब्लॉग पर भी.