भारतीय जनता पार्टी, विश्वहिंदू परिषद और बजरंग दल जैसे संगठनों का दावा है कि जिस जगह बाबरी मस्जिद थी वहां पहले मंदिर था जिसे तोड़कर मस्जिद बनाई गई । इन संगठनों का कहना है कि वह स्थान भगवान राम का जन्म स्थान है। दूसरी ओर मुस्लिम संगठनों का कहना है कि ऐसे कोई सबूत नहीं हैं कि वहां पहले मंदिर था। 1949 से लेकर 1992 में बाबरी मस्जिद गिराने तक जो भी हुआ वो पुलिस, सुरक्षा बलों और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में हुआ। मंदिर में ताला लगाने, नमाज़ पर पाबंदी, पूजा की इजाज़त जैसे तमाम फ़ैसले आज़ाद भारत के धर्मनिरपेक्ष सरकारों ने लिए थे।
बीजेपी बाबरी मस्जिद विवाद के लिए तीन तरह के हल की बात करती है। एक, अदालत के फ़ैसले पर वहां राम मंदिर बना दिया जाए। दूसरा, मुस्लिम समुदाय से बात की जाए और वे विवादित स्थल पर अपना दावा छोड़ दें। तीसरा, संसद में क़ानून बनाकर वहां राम मंदिर बना दिया जाए। अब 24 सितंबर को कोर्ट अपना फैसला देगी। फैसला चाहे जिसके पक्ष में हो तनाव की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। इसीलिए, अयोध्या में धारा 144 अभी से लगा दी गई है। कर्फ्यू की आशंका से वहां के लोगों ने अभी से राशन-पानी घरों में जमा करना शुरू कर दिया है क्योंकि यहां के लोगों के जहन में 1992 की यादें अभी ताजी हैं।
अयोध्या में मंदिरों के बाहर पूजा के लिए फूल-माला, अगरबत्ती जैसी चीजें बेचने का काम वहां का ज्यादातर मुस्लिम समुदाय के लोग करते हैं। कई मुस्लिम तो खड़ाऊ की दुकानों के मालिक भी हैं इसी तरह मस्जिदों के बाहर फूलों की चादर बेचने के काम में कई हिंदू जुटे हैं। ये अयोध्या के लोगों का स्थानीय प्रेम है जिसे शायद बाहरवाले नहीं समझ सकते। अयोध्या सिर्फ हिंदुओं की नगरी है ये कहना बिल्कुल गलत है। यहां मुस्लिम भी बड़ी संख्या में रहते हैं। सिर्फ़ अयोध्या में ही करीब 85 मस्जिदें मौजूद हैं और अधिकतर में अब भी नमाज़ अदा की जाती है। बहुत सी जगहों पर मंदिर और मस्जिद साथ- साथ हैं। अयोध्या की ऐतिहासिक औरंगज़ेबी मस्जिद के ठीक पीछे सीता राम निवास कुंज मंदिर भी है। इन दोनों के बीच सिर्फ एक दीवार है। आलमगीरी मस्जिद मुगल काल में बनी थी। वहां मस्जिद के पास एक दरगाह भी है। अयोध्या की हुनमान गढ़ी, आचार्यजी का मंदिर और उदासीन आश्रम के लिए तत्कालीन मुसलमान शासकों ने ज़मीन दी थी। हनुमान गढ़ी के निर्माण के लिए ज़मीन अवध के नवाब ने दी थी। शायद इसीलिए आज भी रोज़ाना एक मुसलमान फकीर को गढ़ी की ओर से कच्चा खाना दिया जाता है।
अयोध्या हमेशा से ही जंग का मैदान रहा है। लेकिन जब भी हालात तनावपूर्ण हुए यहां के आम आदमी ने हमेशा अमन के लिए दुआ मांगी। यहां के मंदिरों से आरती और मस्जिदों से अजान की ध्वनि साथ-साथ निकलते हैं। चाहे आज का अयोध्या हो या कल का...सत्ता के लिए सबने इसे लांचिंग पैड की तरह इस्तेमाल किया है जिसकी आग में यहां का आम आदमी झुलसा है। जरुरत अयोध्या को समझने की है। उसके दर्द को महसूस करने की…आखिर आधुनिक विकास की बयार यहां भी बहनी चाहिए। यहां के लोगों तक उसके झोंके पहुंचने चाहिए। आस्था मन के भीतर होती है...प्रेम दिल के भीतर होता है...ये वगैर दिखाए और बताए भी अपने अराध्य तक पहुंच जाते हैं।