मैं अक्सर सोचता हूं कि आखिर लोग कैसे आतंक और जेहाद का रास्ता पकड़ लेते हैं ? उन्हें पता नहीं होता की इसका अंजाम क्या होगा ? ऐसा लगता था कि गरीबी की वजह से लोग आतंक का दामन थामते हैं। हाल ही में एक ख़बर सुर्खियों में आयी की पाकिस्तान के बहावलपुर में एक लाख रुपये के लिए नौजवान आत्मघाती दस्ता बनने को तैयार हैं...और वहां उनकी भर्ती चल रही है। इस बात में कितना दम है ये तो कहना मुश्किल है लेकिन ये पूरी सच्चाई नहीं है। मुंबई पर हुए आतंकी हमले में पकड़े गए जिंदा आतंकी कसाब के बारे में तो ये तर्क फिट बैठता है...लेकिन अमेरिका में गिरफ्तार हेडली और राणा के बारे में नहीं। माना की कसाब गरीब था और गरीबी की वजह से आतंकी संगठनों से जा मिला लेकिन हेडली और राणा गरीब नहीं थे। वे अच्छे परिवारों से आते हैं...और पढ़े-लिखे भी हैं, फिर इन दोनों ने आतंक का रास्ता क्यों अपनाया ? हाल ही में पाकिस्तान में पांच अमेरिकी नागरिकों को पकड़ा गया हैं। ये सभी अल-कायदा से जुड़े आतंकी संगठनों में शामिल होने के लिए तालिबान के गढ़ पश्चिमोत्तर इलाके में जाने की फिराक में थे। पाकिस्तानी अखबारों में आ रही मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक ये पांचों लोग पाकिस्तान के संवेदनशील संस्थानों पर हमले की योजना बना रहे थे। इन सभी के पास से लैपटॉप, नक्शे और ऐसे वीडियो मिले हैं, जो यह बताते हैं कि वे अफगानिस्तान में अमेरिका के नेतृत्व वाली सेना से लड़ने के लिए आतंकी समूहों में शामिल होना चाहते थे। इन्हें क्या कहेंगे ! गरीबी की मार से त्रस्त नौजवानों ने आतंक का रास्ता चुना या फिर कुछ और ? सबसे बड़ी बात इतने पढ़े लिखे नौजवान आखिर इस रास्ते को क्यों चुनते हैं ? कहीं इसकी वजह सुर्खियां तो नहीं...। सुर्खियां ही तो वह चीज है, जिसके लिए आतंकी मरते रहते हैं। सुर्खियों में नाम और टेलीविजन पर बिना रुके लगातार ख़बरें। इसीलिए तो 9/11 उनकी इतनी बड़ी सफलता थी। इसीलिए बाली में 12/10, लंदन में 7/7, मुंबई में 26/11 के धमाके इतना असर छोड़ गए। तो आप कहेंगे पाकिस्तानी शहरों में हर दिन हो रहे धमाकों का क्या मतलब है?
ये आईएसआई के लिए सीधा संदेश हैं कि जब तक पाकिस्तान अरबों डॉलर की एवज में अमेरिकी सेना के लिए किराए के टट्टू की तरह काम करता रहेगा, तब तक उसे चैन से जीने नहीं देगे। सुर्खियों ने 26/11 आतंकी हमले में पकड़े गए जिंदा आतंकी कसाब को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में चलनेवाले आतंकी कैंपो में हीरो बना दिया और उसके मारे उसके साथियों को शहीद। जिस अमेरिका ने रुस को हराने के लिए तालिबान का सहारा लिया...उसी के लड़ाकों ने अमेरिका को 9/11 दिया। जिसके जख्म अभी भी नहीं धुले हैं। पाकिस्तान से भेजे गए जो आतंकी कल तक कश्मीर में उत्पात मचा रहे थे...वे अब अपने ही घर में रोज खून की होली और बमों से दीवाली मना रहे हैं...और अब पढ़े-लिखे अमेरिकियों के जेहाद में शामिल होने की ख़बरों ने ओबामा प्रशासन के होश उड़ा दिए हैं। लेकिन, लाख टके का सवाल ये है कि इतने पढ़े लिखे और अच्छे घरों के लड़के इस राह पर क्यों चल रहे हैं ?
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